शराब से, शमशीर से, फिजाओं को बचाने , पहली बार शहर की ज़हरीली हवाओं को चीर कर। एक परिंदा निकला है। बेखौफ ऊंची उड़ाने बताती है, यह परिंदा खुदको इश्क से मुखातिब करने निकला है। या फ़िर इश्क में होकर फना , फिजाओं में इश्क घोलने निकला है। ©Ruksar Bano #WorldPoetryDay #w_for_writer #नोजोटो