ईद इस मर्तबा दबे पांव आयी है मस्जिदें सूनी गालियां वीरान हर सू ख़ामोशी छाई हैं न बाजारें ही सजी न सकीना चूड़ियां लायी है अम्मी ने भी सिवईं बनाके सिर्फ़ रस्म ही निभाई है नमाज़ पढ़ के कहाँ गले मिलना कहकहे लगना कहाँ शेरवानी , टोपी , शीर ख़ुरमा बच्चों ने ईदी कहाँ पायी है चेहरे के मास्क ने मुस्कुराहटें सभी की चुराई हैं और कुछ आंगनों में तो वीरानी, आंखों में नमी, ज़िंदगियों में तन्हाई है ईद, इस मर्तबा दबे पांव आयी है Eid 2020