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मुझे उससे बेहतरी की उम्मीद नहीं कोई मैं खुद को भी

मुझे उससे बेहतरी की उम्मीद नहीं कोई
मैं खुद को भी उस हद तक गिराए जा रहा हूं,

मालूम है उसके बंजर दिल में प्यार के फूल नहीं खिलते
सो मैं खुद के हाथों से अपना गुलिस्तां जलाए जा रहा हूं,

वो बनता रहे बेखबर मीरे हर एहसास से
यहां मैं भी लिख लिख के खत जलाए जा रहा हूं,

मुझे भाती रही थी तेरी सादगी 
 तो मैं अब यूंही मन को उलझाते जा रहा हूं,

तु इतराती थी किसी मशहूर "मैं" को अपना कह के
लो अब मैं गुमनामी के समंदर में गोते लगाए जा रहा हूं,

हां , फर्क नहीं पड़ेगा तुझे मगर
जैसी तुझे नहीं पसंद मैं बिल्कुल वैसी ज़िंदगी जिए जा रहा हूं ||— % & 🙏🏻❤️

#बेहतरीन #गुमनामी #गुलिस्तां #खत #दिलकीबात #original #khudkikalamse #follow
मुझे उससे बेहतरी की उम्मीद नहीं कोई
मैं खुद को भी उस हद तक गिराए जा रहा हूं,

मालूम है उसके बंजर दिल में प्यार के फूल नहीं खिलते
सो मैं खुद के हाथों से अपना गुलिस्तां जलाए जा रहा हूं,

वो बनता रहे बेखबर मीरे हर एहसास से
यहां मैं भी लिख लिख के खत जलाए जा रहा हूं,

मुझे भाती रही थी तेरी सादगी 
 तो मैं अब यूंही मन को उलझाते जा रहा हूं,

तु इतराती थी किसी मशहूर "मैं" को अपना कह के
लो अब मैं गुमनामी के समंदर में गोते लगाए जा रहा हूं,

हां , फर्क नहीं पड़ेगा तुझे मगर
जैसी तुझे नहीं पसंद मैं बिल्कुल वैसी ज़िंदगी जिए जा रहा हूं ||— % & 🙏🏻❤️

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