बेवजह वो नज़रें चुराने लगे हैं, इश्क वो हमारी आजमाने लगे हैं! हम भी समझ रहे हैं हरकतें उनकी, चोरी से बेवफ़ाई वो निभाने लगे हैं! जो कभी बताते थे इक छोटी सी बात तक हमें, आज वो सिने में राज छुपाने लगे हैं! वक्त तो बेशुमार हैं पास उनके, फिर भी वो बहाने बनाने लगे हैं! जो पलभर ना रहते थे बग़ैर हमारे, आज हमसे वो दूर जाने लगें हैं! तोड़कर वो नादां-ए-दिल मेरा, औरों से भी वो इश्क फरमाने लगें हैं! नज़रें चुरा कर!