शोला-ए-इश्क़ बुझाना भी नहीं चाहता है वो मगर ख़ुद को जलाना भी नहीं चाहता है उस को मंज़ूर नहीं है मिरी गुमराही भी और मुझे राह पे लाना भी नहीं चाहता है अपने किस काम में लाएगा बताता भी नहीं हम को औरों पे गँवाना भी नहीं चाहता है इरफ़ान सिद्दीक़ी ©Ankahi Baatein #IrfanSiddiqui #Poetry #urdu_poetry #UrduLover #Smile