गुस्ताखी आँखें करी थी, हर कोने में तुझे ही ढूंढ रही थी, तू पास ना दिखे तो, बेमतलब का रो पड़ी थी, तेरी गलतियों को अनदेखा कर, प्यार की एक कहानी पढ़ी थी, क्योंकि गुस्ताखी ये आँखें करी थी, फिर इस दिल पर , वेबफाई की मार पड़ी थी, वफ़ा की भीख मांगते मांगते, ना जाने कब ये, टूट कर बिखड़ पड़ी थी, फिर भी ये लाचार आँखें, तेरा ही राह तकी थी, एक झलक पाने को, तेरे शहर की हर गली घूम रही थी, आख़िर गुस्ताखी ये आँखें करी थी ।। ©priyadarshini sharma आँखों की गुस्ताखी ।। #sad_feeling #alone #गुस्ताखी_माफ #आंखें #बिहारी #navodayan