गूँजती है चीख, 'उस शरीर' की बाहरी और अंदरूनी दीवारों में 'स्याह रात' में 'मूक' हो गई थी 'वो' बहा आँसू असहनीय वेदना में तड़पती आत्मा,तड़पता शरीर 'उसका', बसर कर रही 'वह' 'शैतानों' में प्रश्न कौंधता एक मन में, क्यूँ उपजी 'वह' 'फूल' बन 'कंटक झाड़ों' में! 💫💫 Challenge-135 #collabwithकोराकाग़ज़ 4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए :) #चीख #कोराकाग़ज़ #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with कोरा काग़ज़ ™️