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नफरत से भरी मेरी निगाहें, और नफरत पर ही फिदा हूं म

नफरत से भरी मेरी निगाहें,
और नफरत पर ही फिदा हूं मैं।

आंसू बहा रही इंसानियत
कितना बेरहम ,बेहया हूं मैं।

प्रकृति से लड़कर खुद के लिए
 इजाद कर ली आराम की चीज़ें,

अनेक जानें ली, प्रकृति को रौंदा 
कितना वहशी ,दरिंदा हूं मै।

जिससे है मेरा वजूद 
उसी से जुदा हूं मैं।

05/04/2023

©SHAYARA BANO #मानवीय क्रूरता
नफरत से भरी मेरी निगाहें,
और नफरत पर ही फिदा हूं मैं।

आंसू बहा रही इंसानियत
कितना बेरहम ,बेहया हूं मैं।

प्रकृति से लड़कर खुद के लिए
 इजाद कर ली आराम की चीज़ें,

अनेक जानें ली, प्रकृति को रौंदा 
कितना वहशी ,दरिंदा हूं मै।

जिससे है मेरा वजूद 
उसी से जुदा हूं मैं।

05/04/2023

©SHAYARA BANO #मानवीय क्रूरता
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