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न जाने नींद मेरी उस वक्त कहाँ चली जाती है जिस वक्त

न जाने नींद मेरी
उस वक्त कहाँ चली जाती है
जिस वक्त उसकी मेरे शरीर से ज्यादा दिल को जरूरत होती है, हैरान नहीं हूँ मैं दिन भर
उसके ख्वाबों ख्यालों को देखने में,
तकलीफ तो तब होती है जब इन सबके बावजूद भी वो मेरे सपनों में नहीं आती है। हैरान...
न जाने नींद मेरी
उस वक्त कहाँ चली जाती है
जिस वक्त उसकी मेरे शरीर से ज्यादा दिल को जरूरत होती है, हैरान नहीं हूँ मैं दिन भर
उसके ख्वाबों ख्यालों को देखने में,
तकलीफ तो तब होती है जब इन सबके बावजूद भी वो मेरे सपनों में नहीं आती है। हैरान...