#झील को निहारती है, आज भी ये आंखे.! तुम नही हो साथ आज, फिर भी याद साथ है.! शाम हर गुजरती साथ, झील के किनारे पर.! घण्टों बैठे साथ हम, बातों में गुज़ारते.! झील को निहारती है, आज भी ये आंखे.! आज भी है याद दिन, तुम नही थे आए.! इंतज़ार करते करते, रात ही गुज़ार दी.! वक़्त कितने गुज़र गए, याद न रहा है अब.! याद बस बचा है अब, साथ नही आप है.! झील के किनारे अब, दिन है गुज़ारते.! झील के किनारे बैठा, राह तेरा देखता.! #अजय57