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#OpenPoetry मैं नही चाहता उसे पता चले, वो मेरे सप

#OpenPoetry मैं नही चाहता उसे पता चले, 
वो मेरे सपनो का घर है।
कि वो मेरे चाहतों का शहर है,
मै इक परिंदा, जिसके राहतों का वो शजर है।

क्योंकि मुझे डर है शायद...

जो बनाया है उसने सपनो का घर,
मेरे कदमो से कहीं बिखर न जाये।
जो चलाई है उसने उल्फत की हवा,
मेरी आहट से कहीं ठहर न जाये। #Grief_Love
#OpenPoetry मैं नही चाहता उसे पता चले, 
वो मेरे सपनो का घर है।
कि वो मेरे चाहतों का शहर है,
मै इक परिंदा, जिसके राहतों का वो शजर है।

क्योंकि मुझे डर है शायद...

जो बनाया है उसने सपनो का घर,
मेरे कदमो से कहीं बिखर न जाये।
जो चलाई है उसने उल्फत की हवा,
मेरी आहट से कहीं ठहर न जाये। #Grief_Love