उड़ चला यह मन नीले गगन में चलती शीतल पवन मस्ती से हो रहा मगन खींच रही डोर अपनी ओर हो गई भोर आंखों को मिचे पलको को खोलें,,,,,,, लो हो गई नयी सुबह प्यारी सी भर रही रोम रोम में ताजगी सी,,,,,,,, सब कुछ फिर से नया नया मन नया तन नया