शिकायत करू भी तो किससे करु जब किसी का कोई कसूर नहीं सब कुछ गवा बैठे हैं हम अब पाने को कुछ भी नहीं बस रह जाएंगे अजाब हम्में मेरे हिस्से में और कुछ भी नहीं जब जिंदगी की मंजिल है मौत अब मेरा कोई ख्वाब नहीं ©शीतल श्रेष्ठ sad dp