✴️मज़दूर✴️ सबसे छोटी इकाई है वह सबसे अधिक बोझ उसके काँधे पर आज तरसा दो रोटी को जिसके होने से पलता सबका घर कल तक था जो सबका ग़ुरूर क्यों आज हुआ मज़बूर वह शोषित,वंचित रहा सदियों से मेहनत का दामन ना छोड़ा तकलीफ़ो और झूठे वायदों ने उसका संबल तोड़ा इन कठिन हालातों में उनकी सहायता करें ज़रूर अपने हिस्से की रोटी दे उनको ना बने क्रूर जागरूक हो अपने अधिकारों के प्रति देश का हर मज़दूर सम्मान करें हम उनका ना बने मगरूर। #रमज़ान_कोराकाग़ज़ सातवें दिन की रचना देश के मज़दूरों को समर्पित।