अर्श से फर्श तक निर्माण का वो विश्वकर्मा है नए विज्ञान का नए सृजन की जिसमे छमता है नव युग का वह एक अभियंता है छितिज को जो धरा से जोड़ कर मन मौज में समंदरों को मोड़ कर कल्पनाओं से जो श्रृंगार करता है नव युग का वह एक अभियंता है युग भी जिसके विश्वास के दर्शक हैं निराशाएं भी जिसकी पथ प्रदर्शक हैं जिसकी रचनाओं से भविष्य बनता है नव युग का वह एक अभियंता है ©Atul singh #EngineerDay