बना दो हिम बिन्दु को सागर अपने इस पुरुषार्थ से। बना दो धरा को स्वर्ग, नि:स्वार्थ सेवार्थ से। बना दोगे हिम बिन्दु को सागर अगर तुम में जज्बात होगा। बना दोगे धरा को स्वर्ग, अगर तुम में परमार्थ होगा। सूरज सी चमक तुम में भी होगी, जो दृढ बन तपोगे कर्तव्य पथ पर। अमर 'अरमान' आत्मा शक्ति