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मर्यादा है दहलीज पर, संस्कारों की रेखा गहरी। जहां

मर्यादा है दहलीज पर,
संस्कारों की रेखा गहरी।
जहां पग रखते झुक जाते,
आदर और प्रेम की लहरी।

घर की इज्जत, मान है ये,
पीढ़ियों की धरोहर प्यारी।
मर्यादा की सीमा रेखा,
संभाले हमने सदा से न्यारी।

दहलीज के उस पार बसे,
संस्कारों का है संसार।
जहां रिश्तों की नींव गढ़ी,
हर दिल में सम्मान अपार।

आगे बढ़े कदम जहां,
वहां सदा मर्यादा रहे।
यह वो लक्ष्मण रेखा है,
जिससे हर घर आबाद रहे।

दहलीज की इस लकीर में,
छिपा है जीवन का सार।
सम्मान से जीना सिखाए,
मर्यादा का अद्भुत प्यार।

मर्यादा है दहलीज पर,
इससे बढ़कर कुछ भी नहीं।
जो इसको समझे, माने,
वो दुनिया में झुके कहीं।

©aditi the writer
  #navratri  आगाज़  Niaz (Harf)  Da "Divya Tyagi"  shraddha.meera  Raj Sabri