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सामने मंज़िल थी और, सामने मंज़िल थी और, में फिर भी

सामने मंज़िल थी और, सामने मंज़िल थी और,
में फिर भी वही खड़ा था , 
सोचमे था शायद,या सब कुछ बिखरा पड़ा था।
मंजिल ख़ुद पास आई थी
और में खुदमे ही उलझा पड़ा था।
अगर जब उसकी उंगली थाब लेता ,
तो दुनिया का रूख मेरे लिए अलग ही होता........... #एक#मोका#किस्मत
सामने मंज़िल थी और, सामने मंज़िल थी और,
में फिर भी वही खड़ा था , 
सोचमे था शायद,या सब कुछ बिखरा पड़ा था।
मंजिल ख़ुद पास आई थी
और में खुदमे ही उलझा पड़ा था।
अगर जब उसकी उंगली थाब लेता ,
तो दुनिया का रूख मेरे लिए अलग ही होता........... #एक#मोका#किस्मत
anokhi5014286073812

Teju

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