है दर्द बहुत इस दिल में मेरे,तुम्हें दिखाऊँ कैसे? भीड़ बहुत ज़माने में , तुझ तक मैं आऊँ कैसे? मेरी है गुमराह ज़िंदगी मंज़िल तुम्हें बनाऊँ कैसे? तुम दीपक!मैं हवा हुई ख़ुदसे तुम्हें बचाऊँ कैसे? है तेज़ आँधी, और आँखें दिखाती बिजलियाँ! बिखरें ना बेज़ान पत्ते बरखा को बरसाऊँ कैसे? मेरी आख़िरी आस हो,यकीं तुम्हें दिलाऊं कैसे? चाहतों के सफ़र में हमसफ़र तुम्हें बनाऊँ कैसे? यूँ तो मोहब्बत में हरइक दर्द सुहाने से लगते है! मग़र दूर जाने के रस्मों को भला निभाऊँ कैसे ? चाँद-सितारे गवाह है हमारे इश्क़ की दुनिया के तुम बिन रह नहीं सकते दुनियां को बताऊ कैसे? अब चाहत हो कुबूल तय रिश्ता करे ख़ुदा भी ? 'नेहा' मैं अपनी उम्मीदों का दीया बुझाऊँ कैसे? Divyanshu Pathak