तेरी आँखों में जितने भी सवाल हैं, मैं उनका ज़वाब हूँ। सजा़ हूँ ..... तेरे गुनाह की ----- सितम का हिसाब हूँ।। तेरी अदा की जा़निब ------ उठते ..... गिरते हैं परदे। 'अनुपम' मैं कुछ नहीं ! 'आ..ई..नों' की कि़ताब हूँ।। #Mukt kanth amber!