वर्षों बाद लौटा हूं मैं इन गलियों में कल तक दौरा करता था मैं जिन गलियों में गलियां आज भी वही है लोग आज भी वही है बदला सिर्फ घरों का रंग है पर शायद बदली मेरी याद भी है वह करीम चाचा का मकान मुझको मिल नहीं रहा सत्तू हलवाई की मिठाईयां भी मुझको दिख नहीं रही है हां मुझको याद मेरा मकान तो है पर उसके सामने खिलौनों की वह दुकान नहीं है गली के मुहाने का वह मैदान अब दिख नहीं रहा वहां एक ऊंची लंबी सी इमारत खड़ी है अंकित, अन्नू, चंदन कोई दिखाई नहीं दे रहा 5 बजने वाला है पर अजान सुनाई नहीं दे रहा मंदिर में आरती की तैयारी चल रही है पर प्रसाद लेने कोई बच्चा खड़ा दिखाई नहीं दे रहा पहले तो पूरा मोहल्ला अपना घर जैसा लगता था पर आज मुझसे मेरा कोई हालचाल नहीं पूछ रहा पहले तो खाना मैं किसी भी घर में खा लेता था अभी प्यास लगी है पर कोई पानी नहीं दे रहा शहर बनने के चक्कर में गांव बदल सा गया है मैं तो लौटकर गांव आया था मुझे क्या पता था कि गांव शहर बन गया है #जिंदगी #गांव #शहर #बदलाव #तरक्की #शहरीकरण