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कुछ यादे थी जो धुँधली होने लगी अब कुछ ख़्वाब थे जो

कुछ यादे थी जो 
धुँधली होने लगी अब
कुछ ख़्वाब थे जो
सिमट लिए है अब
अब सूखे फूलों से 
हमें इश्क़ की महेक नही आती
तेरे नाम से भी दूर रहने लगें अब

©Mishty Ahir #soor_wordss 

#Rose
कुछ यादे थी जो 
धुँधली होने लगी अब
कुछ ख़्वाब थे जो
सिमट लिए है अब
अब सूखे फूलों से 
हमें इश्क़ की महेक नही आती
तेरे नाम से भी दूर रहने लगें अब

©Mishty Ahir #soor_wordss 

#Rose
mishtyahir1563

Mishty Ahir

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