सुनो! सुनो! सुनो --------------------- सुनो! सुनो! सुनो कान खोलकर सुनो ध्यान से सुनो सुनो आज का दलित वह दलित नहीं है कि करेगा तुम्हारी जी-हुजूरी करेगा तुम्हारी गोरूआरी ढोएगा पूरे परिवार का मैला करेगा गो-मूत्र साफ बदले में तुम दोगे उसे खाने को जूठन पहनने को उतरन वक़्त-बेवक़्त गाली जूता-लात वह सहता रहेगा चुपचाप करता रहेगा माफ तुम्हारी हर मनबढ़ प्रवृत्तियों को सुनो! सुनो! सुनो बिल्कुल भी मत रहो इस भ्रम में कि क्या हुआ है अब तक और क्या ही होगा क्योंकि आज का दलित देना जानता है माकूल जवाब बुनना जानता है अच्छे और ऊंचे ख्वाब चुनना जानता है कांटों से गुलाब पढ़ना जानता है किताब रखना जानता है हिसाब सर्दी,गर्मी और रूआब तुम्हारे बाप की तरह ©Narendra Sonkar सुनो! सुनो! सुनो