।।श्री हरिः।।
49 - सेवक नहीं
गोप-बालक जब भी दो दल बनाकर खेलना चाहते हैं, एक दल के अग्रणी दाऊ होगें और उनके सम्मुख दूसरे दल में विशाल ही आ सकता है; क्योंकि शरीर में वही दाऊ के समान है।
कन्हाई और श्रीदाम की जोडी है। श्याम सदा विशाल के साथ रहता है। श्रीदाम को दाऊ के साथ रहना है। भद्र चाहे तो भी नन्दनन्दन उसे दूसरे पक्ष में जाने नहीं दे सकता। यह तो जब दो दल बनने लगेगें तभी पुकारेगा - 'मैं भद्र के साथ रहूंगा। सुबल, तोक मेरे साथ रहेगें।' फलत: भद्र की जोड़ में ऋषभ को और तोक के सम्मुख अंशु को दुसरे पक्ष में रहना ही है।
आज वन में आकर बालकों ने प्रतिदिन की भांति अपने छींके-वृक्षों की डालियों पर रख दिये। पुष्प, किसलय, गुञ्जा, वनधातुएं चयन की और परस्पर एक दुसरे का शृंगार किया। अब खेलने के लिए दो दल बन गये हैं।