हँसके मुझपे क़हर न डालो यूँ ज़ुल्फ़ों की लहर न डालो होठों को होठों से लगा के खून में इश्क़ का ज़हर न डालो नहर की पानी मीठा है तो खारा बहर में नहर न डालो ज़हर का अंकुर डाल रहे हो यूँ मिल नाफ़-ए-शहर न डालो "राम" तेरा उल्फ़त सच्चा है बंदिश-ए-चमन-ए-दहर न डालो ©Ram_N_Mandal Hans ke mujhpe qahar n dalo Yun zulfon ki lahar n dalo Hothon ko hothon se laga ke Khoon me ishq ka zahar n dalo #Love #Life #Khoon #zahar #Shayari #ghazal