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What need the most is harmony..... करुणा विशाल हृ

What need the most is harmony.....  करुणा विशाल हृदय की वस्तु है। करुणा, धन और शिक्षा से नहीं जन्म लेती, यह तो हृदय का क्षेत्र है। 

संस्कृत कवि कृष्णद्वैपायन व्यास अपनी कविता 'महाभारत' में एक प्रसंग में कहते हैं - 

"भीतम् भक्तम् नान्यदस्तीति चार्ते प्राप्तम् क्षीणम् रक्षणे प्राणलिप्सुम।
प्राणत्यागादप्यहम् नैव मोक्तुम् यतेयम् वै नित्यमेतद् व्रतम् मे।।"

(महाभारत ➝ महाप्रस्थानिक पर्व ➝ तृतीय अध्याय ➝ श्लोक 12)
What need the most is harmony.....  करुणा विशाल हृदय की वस्तु है। करुणा, धन और शिक्षा से नहीं जन्म लेती, यह तो हृदय का क्षेत्र है। 

संस्कृत कवि कृष्णद्वैपायन व्यास अपनी कविता 'महाभारत' में एक प्रसंग में कहते हैं - 

"भीतम् भक्तम् नान्यदस्तीति चार्ते प्राप्तम् क्षीणम् रक्षणे प्राणलिप्सुम।
प्राणत्यागादप्यहम् नैव मोक्तुम् यतेयम् वै नित्यमेतद् व्रतम् मे।।"

(महाभारत ➝ महाप्रस्थानिक पर्व ➝ तृतीय अध्याय ➝ श्लोक 12)