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सावन में ही तो भींगे थे दोनों के मन.. बरसात में ही

सावन में ही तो भींगे थे दोनों के मन..
बरसात में ही बरबस मिले थे नयन..
वो अंजूली में भरकर पानी को 
फेंका जो तुमने..
हवाओं ने कैसे तेरी जुल्फें उड़ायी..
हाथ थामें एकटक डूबते सूरज को देखा..
कितना प्यारा था वो गगन .
सावन में ही तो भींगे थे दोनों के मन..
पैरों की थिरकन से , ऊंगली की खुरचन से
रेत पर तुमने तस्वीरें जो खींची..
वही बना था  दिल का मुकम्मल जहां.. #mynojoto 
#myshayri
#mykavita
सावन में ही तो भींगे थे दोनों के मन..
बरसात में ही बरबस मिले थे नयन..
वो अंजूली में भरकर पानी को 
फेंका जो तुमने..
हवाओं ने कैसे तेरी जुल्फें उड़ायी..
हाथ थामें एकटक डूबते सूरज को देखा..
कितना प्यारा था वो गगन .
सावन में ही तो भींगे थे दोनों के मन..
पैरों की थिरकन से , ऊंगली की खुरचन से
रेत पर तुमने तस्वीरें जो खींची..
वही बना था  दिल का मुकम्मल जहां.. #mynojoto 
#myshayri
#mykavita
kishorjha3995

Kishor Jha

New Creator