कुछ तुम्हारे रहने तक, कुछ तुम्हारे बाद हुआ एक दिन तो ये होना था, लो पूरी तरह बर्बाद हुआ एक जिस्म था,एक रूह था, एक दिल और एक दिमाग भी मैं किसका कितना ज़्यादा था, ये तक भी मुझको याद नही सब अपनी अपनी जिद पे थे, सबकी अपनी ज़रूरते मैं कैद में था खुद कितनों के, सब कैद से अब आज़ाद हुआ कुछ तुम्हारे रहने तक, कुछ तुम्हारे बाद हुआ एक दिन तो ये होना था, लो पूरी तरह बर्बाद हुआ जिस्म से मेरी जान नु लेके, मैनु बेसहारा कर गया तुझमे बसी थी दुनिया मेरी, दूर मेरे तो जग सारा कर गया खुद से रूठा, खुद में टूटा, इश्क़ तेरा तो निकला झूठा तेरे बाद किसी नु ना दिल लाया मैं दिल लाया तू दिमाग़ लाया मैं दिल लाया तू दिमाग़ लाया