तहजीबें मिटती हैं आजकल, धर्मनिरपेक्षता के नामों पर ऐक सोच का ठेका लिए जो, जो घूम रहे मुहानों पर अरे धर्मों को गाली देते हो, इंसान किसने बनाया है इंसानों में इंसानियत का भाव रखना किसने सिखाया है मैं सही हूं, तू गलत है, का टकराना छोड़ दो बस अपने धर्मों को खुद अपना लो, ये रास्ता मोड़ लो बस मै हिन्दू हूं, मुझे गर्व है, किसी की गाली नहीं सुनपाऊंगा तिरस्कार ये धर्मनिर्पेक्षता के नामों से, हिंदुत्व का रूप दिखाऊँगा सर्वोपरि मेरा हिन्दू धर्म है, पर सम्मान है सभी धर्मों का स्त्री है रूप देवी का, मां भगवान समान है, मेरे धर्म ने सिखलाया है मुझे परोपकार इंसानों का गर्व से कहता हूं: में हिन्दू हूं धर्मनिरपेक्ष नहीं