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ये रात बहुत अकेली हैं बिलकुल मेरी तरह एकदम शांत सी

ये रात बहुत अकेली हैं बिलकुल मेरी तरह
एकदम शांत सी, एकदम कमज़ोर और ठहरी हुई सी।
रात कहने को बस रात है लेकिन है दिन से कईं गुना अच्छी,
रात ज़िंदगी को सुकून भी देती है और दर्द भी।
यूँ तो सब कुछ है रात के पास लेकिन फिर भी ये अकेली है,
इसके पास चाँद की चाँदनी है, लेकिन फिर भी ये अकेली है।
तारों की चमक है ये फिर भी अकेली है,
ठण्डी हवायें भी हैं इसके साथ पर फिर भी ये अकेली है।
लेकिन ये रात बड़ी सच्ची है,
ये रात गवाह है उन लोगों के बदल जाने की जो दिन होते ही अजनबी हो गए।
ये रात चीख- चीख कर करती है सवाल मुझसे की अब तुम्हारी हँसी कुछ गायब सी है,
लेकिन ये कभी मेरे हालात पर हँसती नही है।
ये रात इजाज़त देती है खुल कर तुमको को याद करने की,
तुम्हारी याद में जी भर के रो लेने की
और आखिर में ये मुझे अपनी आगोश में लेकर मुझे कुछ वक़्त सुला देती हैं...!!!

©Raj Alok Anand
  #Lonely_Nights