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जिसकी प्रतिक्षा में,काटे जीवन के हर पल हर क्षण जिन

जिसकी प्रतिक्षा में,काटे जीवन के हर पल हर क्षण
जिनकी याद आते ही होते मुसकानों के दीप रोशन

जिसके आगमन से जैसे ये शहर हो जाता वृंदावन 
जिसके कारण आती बहार,खिल उठता हृदय चमन

जिसके छू लेने से,रोम रोम तन का हो जाता चंदन
धानी हो जाती चुनरिया, पाकर जिसका आलिंगन

जिसके मधुर स्वर से, हर्षित होता यह घर आंगन
जिसकी वाहों में आते ही, दूर हो जाता मेरा हर गम

कोई और नहीं है,वो तो है मेरा साजन,मेरा हमदम
जिसकी राह में बिछे रहते हरदम मेरे ये दो नयन

©Nilam Agarwalla
  #बाहों_में_आते_ही