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ओ३म् (ॐ): गणेश शिवमानस पूजा में श्री गणेश को ओ३म्

ओ३म् (ॐ): गणेश शिवमानस पूजा में श्री गणेश को ओ३म् (ॐ) या ओंकार का नामांतर प्रणव कहा गया है. इस एकाक्षर ब्रह्म में ऊपर वाला भाग गणेश का मस्तक, नीचे का भाग उदर, चंद्रबिंदु लड्डू और मात्रा सूंड मानी गई है...,

गणेश ने मूषक को क्यों चुना अपना वाहन :-
पौराणिक कथा प्राचीन समय में सुमेरू अथवा महामेरू पर्वत पर सौभरि ऋषि का अत्यंत मनोरम आश्रम था. उनकी अत्यंत रूपवती और पतिव्रता पत्नी का नाम मनोमयी था. एक दिन ऋषि लकड़ी लेने के लिए वन में गए और मनोमयी गृह-कार्य में लग गई. उसी समय एक दुष्ट कौंच नामक गंधर्व वहां आया और उसने अनुपम लावण्यवती मनोमयी को देखा तो व्याकुल हो गया. अपनी व्याकुलता में कौंच ने ऋषि पत्नी का हाथ पकड़ लिया. रोती और कांपती हुई ऋषि पत्नी उससे दया की भीख मांगने लगी. उसी समय सौभरि ऋषि आ गए. उन्होंने कौंच को श्राप देते हुए कहा 'तूने चोर की तरह मेरी पत्नी का हाथ पकड़ा है, इस कारण तू मूषक होकर धरती के नीचे और चोरी करके अपना पेट भरेगा. कांपते हुए गंधर्व ने मुनि से प्रार्थना की -'दयालु मुनि, अविवेक के कारण मैंने आपकी पत्नी के हाथ का स्पर्श किया था, मुझे क्षमा कर दें’. ऋषि ने कहा मेरा श्राप व्यर्थ नहीं होगा, तथापि द्वापर में महर्षि पराशर के यहां गणपति देव गजमुख पुत्र रूप में प्रकट होंगे तब तू उनका वाहन बन जाएगा, जिससे देवगण भी तुम्हारा सम्मान करने लगेंगे...,

बुद्धि के देवता भगवान गणेश जी ने आखिर निकृष्ट माने जाने वाले मूषक (चूहा) जीव को ही अपना वाहन क्यों चुना?
गणेश जी की बुद्धि का हर कोई कायल है. तर्क-वितर्क में हर कोई हार जाता था. एक-एक बात या समस्या की तह में जाना, उसकी मीमांसा करना और उसके निष्कर्ष तक पहुंचना उनका शौक है. चूहा भी तर्क-वितर्क में पीछे नहीं रहता. चूहे का काम किसी भी चीज को कुतर डालना है, जो भी वस्तु चूहे को नजर आती है वह उसकी चीरफाड़ कर उसके अंग प्रत्यंग का विश्लेषण सा कर देता है. शायद गणेश जी ने कदाचित चूहे के इन्हीं गुणों को देखते हुए उसे अपना वाहन चुना होगा...,

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 574 से 585 नाम

574 त्रिसामा तीन सामों द्वारा सामगान करने वालों से स्तुति किये जाने वाले हैं
575 सामगः सामगान करने वाले हैं
576 साम सामवेद
577 निर्वाणम् परमानंदस्वरूप ब्रह्म
578 भेषजम् संसार रूप रोग की औषध
579 भृषक् संसाररूप रोग से छुड़ाने वाली विद्या का उपदेश देने वाले हैं
580 संन्यासकृत् मोक्ष के लिए संन्यास की रचना करने वाले हैं
581 समः सन्यासियों को ज्ञान के साधन शम का उपदेश देने वाले
582 शान्तः विषयसुखों में अनासक्त रहने वाले
583 निष्ठा प्रलयकाल में प्राणी सर्वथा जिनमे वास करते हैं
584 शान्तिः सम्पूर्ण अविद्या की निवृत्ति
585 परायणम् पुनरावृत्ति की शंका से रहित परम उत्कृष्ट स्थान हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' ओ३म् (ॐ): गणेश शिवमानस पूजा में श्री गणेश को ओ३म् (ॐ) या ओंकार का नामांतर प्रणव कहा गया है. इस एकाक्षर ब्रह्म में ऊपर वाला भाग गणेश का मस्तक, नीचे का भाग उदर, चंद्रबिंदु लड्डू और मात्रा सूंड मानी गई है...,

गणेश ने मूषक को क्यों चुना अपना वाहन :-
पौराणिक कथा प्राचीन समय में सुमेरू अथवा महामेरू पर्वत पर सौभरि ऋषि का अत्यंत मनोरम आश्रम था. उनकी अत्यंत रूपवती और पतिव्रता पत्नी का नाम मनोमयी था. एक दिन ऋषि लकड़ी लेने के लिए वन में गए और मनोमयी गृह-कार्य में लग गई. उसी समय एक दुष्ट कौंच नामक गंधर्व व
ओ३म् (ॐ): गणेश शिवमानस पूजा में श्री गणेश को ओ३म् (ॐ) या ओंकार का नामांतर प्रणव कहा गया है. इस एकाक्षर ब्रह्म में ऊपर वाला भाग गणेश का मस्तक, नीचे का भाग उदर, चंद्रबिंदु लड्डू और मात्रा सूंड मानी गई है...,

गणेश ने मूषक को क्यों चुना अपना वाहन :-
पौराणिक कथा प्राचीन समय में सुमेरू अथवा महामेरू पर्वत पर सौभरि ऋषि का अत्यंत मनोरम आश्रम था. उनकी अत्यंत रूपवती और पतिव्रता पत्नी का नाम मनोमयी था. एक दिन ऋषि लकड़ी लेने के लिए वन में गए और मनोमयी गृह-कार्य में लग गई. उसी समय एक दुष्ट कौंच नामक गंधर्व वहां आया और उसने अनुपम लावण्यवती मनोमयी को देखा तो व्याकुल हो गया. अपनी व्याकुलता में कौंच ने ऋषि पत्नी का हाथ पकड़ लिया. रोती और कांपती हुई ऋषि पत्नी उससे दया की भीख मांगने लगी. उसी समय सौभरि ऋषि आ गए. उन्होंने कौंच को श्राप देते हुए कहा 'तूने चोर की तरह मेरी पत्नी का हाथ पकड़ा है, इस कारण तू मूषक होकर धरती के नीचे और चोरी करके अपना पेट भरेगा. कांपते हुए गंधर्व ने मुनि से प्रार्थना की -'दयालु मुनि, अविवेक के कारण मैंने आपकी पत्नी के हाथ का स्पर्श किया था, मुझे क्षमा कर दें’. ऋषि ने कहा मेरा श्राप व्यर्थ नहीं होगा, तथापि द्वापर में महर्षि पराशर के यहां गणपति देव गजमुख पुत्र रूप में प्रकट होंगे तब तू उनका वाहन बन जाएगा, जिससे देवगण भी तुम्हारा सम्मान करने लगेंगे...,

बुद्धि के देवता भगवान गणेश जी ने आखिर निकृष्ट माने जाने वाले मूषक (चूहा) जीव को ही अपना वाहन क्यों चुना?
गणेश जी की बुद्धि का हर कोई कायल है. तर्क-वितर्क में हर कोई हार जाता था. एक-एक बात या समस्या की तह में जाना, उसकी मीमांसा करना और उसके निष्कर्ष तक पहुंचना उनका शौक है. चूहा भी तर्क-वितर्क में पीछे नहीं रहता. चूहे का काम किसी भी चीज को कुतर डालना है, जो भी वस्तु चूहे को नजर आती है वह उसकी चीरफाड़ कर उसके अंग प्रत्यंग का विश्लेषण सा कर देता है. शायद गणेश जी ने कदाचित चूहे के इन्हीं गुणों को देखते हुए उसे अपना वाहन चुना होगा...,

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 574 से 585 नाम

574 त्रिसामा तीन सामों द्वारा सामगान करने वालों से स्तुति किये जाने वाले हैं
575 सामगः सामगान करने वाले हैं
576 साम सामवेद
577 निर्वाणम् परमानंदस्वरूप ब्रह्म
578 भेषजम् संसार रूप रोग की औषध
579 भृषक् संसाररूप रोग से छुड़ाने वाली विद्या का उपदेश देने वाले हैं
580 संन्यासकृत् मोक्ष के लिए संन्यास की रचना करने वाले हैं
581 समः सन्यासियों को ज्ञान के साधन शम का उपदेश देने वाले
582 शान्तः विषयसुखों में अनासक्त रहने वाले
583 निष्ठा प्रलयकाल में प्राणी सर्वथा जिनमे वास करते हैं
584 शान्तिः सम्पूर्ण अविद्या की निवृत्ति
585 परायणम् पुनरावृत्ति की शंका से रहित परम उत्कृष्ट स्थान हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' ओ३म् (ॐ): गणेश शिवमानस पूजा में श्री गणेश को ओ३म् (ॐ) या ओंकार का नामांतर प्रणव कहा गया है. इस एकाक्षर ब्रह्म में ऊपर वाला भाग गणेश का मस्तक, नीचे का भाग उदर, चंद्रबिंदु लड्डू और मात्रा सूंड मानी गई है...,

गणेश ने मूषक को क्यों चुना अपना वाहन :-
पौराणिक कथा प्राचीन समय में सुमेरू अथवा महामेरू पर्वत पर सौभरि ऋषि का अत्यंत मनोरम आश्रम था. उनकी अत्यंत रूपवती और पतिव्रता पत्नी का नाम मनोमयी था. एक दिन ऋषि लकड़ी लेने के लिए वन में गए और मनोमयी गृह-कार्य में लग गई. उसी समय एक दुष्ट कौंच नामक गंधर्व व