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इन सुलगते अरमानों को मैं बुझाऊँ कैसे? रूठ कर बैठे

इन सुलगते अरमानों को मैं बुझाऊँ कैसे?
रूठ कर बैठे हैं सनम, उन्हें मनाऊँ कैसे ?
दिल पर अब पत्थर रख लिया 
की वो संभल जाए खुद ही ।
ना समझे तो हाल-ए-बयाँ करू किससे।।  🎀 Challenge-354 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 4 पंक्तियों अथवा 25 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
इन सुलगते अरमानों को मैं बुझाऊँ कैसे?
रूठ कर बैठे हैं सनम, उन्हें मनाऊँ कैसे ?
दिल पर अब पत्थर रख लिया 
की वो संभल जाए खुद ही ।
ना समझे तो हाल-ए-बयाँ करू किससे।।  🎀 Challenge-354 #collabwithकोराकाग़ज़

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ashagiri4131

Asha Giri

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