हे प्रेयसी अब करो विदा, ये अंतिम मिलन हमारा है, न अपने मन को तुम व्यथित करो , यही अब भाग्य हमारा है । हे प्रेयसी अब करो विदा , ये अंतिम मिलन हमारा है । तुम्हारा मैं अपराधी हूं लेकिन , पुज्य पिता के वचनों का पालन दायित्व हमारा है हे प्रेयसी अब करो विदा ये अंतिम मिलन हमारा है । ©कवित्त कलश #मेघनाथ