तुझे तेरे ख्वाबों की मंज़िल का मिलना इतना भी आसां नहीं, भटक जायेगा तू अकेला हुस्न के शहर में जहां मिलेगी जिंदगिया तुझे बदनाम कई, जहां आजकल ऊंची क़ीमत देकर भी नहीं मिलता मन चाहा प्यार कभी, ख़ुद को गिरवी रखना पड़ता है हुस्न के शहर में क्योंकि काम नहीं आते वहां जज़्बात कोई, फूंक फूंक कर रखने पड़ते है कदम इश्क़ की गलियों में जहां से लौटने पर मिलता नहीं ख़ुद का निशा कोई, लग जाती सदियां जोड़ने में ख़ुद को क्योंकि टूटकर बिखरना हर किसी के बस की बात नहीं..... #रातकाअफ़साना #YourQuoteAndMine #mereshabdonkajahan #nikhil_kaushik #poetry #mypoetry #दिल Collaborating with YourQuote Didi