इक चुभन है कि जो बेचैन किए रहती है ऐसा लगता है कि कुछ टूट गया है मुझ में ! तेरे जाने से यहाँ कुछ नहीं बदला मसलन तेरा बख़्शा हुआ हर ज़ख़्म हरा है मुझ में ! ~अज्ञात ©Varun Vashisth #varunkagam