अन्धाधुन्ध लुटाते रहे कमाई अपने माँ बाप की लिख गए एक नई परिभाषा वो अपने स्वार्थ की धन उनकी जरूरत नहीं हाथों का मैल बन गया एक दिन भी बिन पैसों के रहना उनको खल गया बेखबर हैं इसकी कीमत से जो झाँक ले गरीबी मे उनको रोटी नही मयस्सर रात कटती है फ़क़ीरी में वक़्त भी टिकता नही किसी एक करवट पर कभी इसके आगे मजबूर है राजा हो या रंक हो सभी हो जाएगा खाली खज़ाना यूँ अन्धाधुन्ध लुटाने से यहाँ समझदारी है इसको सही तरीके से बचाने में ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_303 👉 अन्धाधुन्ध लुटाना मुहावरे का अर्थ ---- बिना सोचे समझे खर्च करना। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो लेखकों की रचनाएँ फ़ीचर होंगी।