मुझे मुहब्ब्त के दरिया में छोड़ कर खुद पार आ गए, तुम्हारे जाने के बाद ग़म ए तूफ़ान हज़ार आ गए। ये हवाएं बर्बादी की कुछ इस कदर चली राह ए मुहब्ब्त में, मुझको मिटाने ये सागर अश्कों के बेशुमार आ गए । ,,,,,,,,,,विशाल,,,,,,, मुहब्ब्त का दरिया