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विस्मृत,अचंभित था हृदय 'पुरस्कृत' जो तुमने किया ति

विस्मृत,अचंभित था हृदय
'पुरस्कृत' जो तुमने किया
तिरस्कृत हो तुम्हारे प्रेम में
प्राणों को निरर्थक मान लिया 
बहाए अश्रु रात्रि-दिवस.....


कैप्शन् में पढ़ें.....
🌹 विस्मृत,अचंभित था हृदय
'पुरस्कृत' जो तुमने किया
तिरस्कृत हो तुम्हारे प्रेम में
प्राणों को निरर्थक मान लिया 

बहाए अश्रु रात्रि-दिवस
स्मरण तुम्हें आठों पहर किया
वियोग अप्रतिम तुमसे मिला
विस्मृत,अचंभित था हृदय
'पुरस्कृत' जो तुमने किया
तिरस्कृत हो तुम्हारे प्रेम में
प्राणों को निरर्थक मान लिया 
बहाए अश्रु रात्रि-दिवस.....


कैप्शन् में पढ़ें.....
🌹 विस्मृत,अचंभित था हृदय
'पुरस्कृत' जो तुमने किया
तिरस्कृत हो तुम्हारे प्रेम में
प्राणों को निरर्थक मान लिया 

बहाए अश्रु रात्रि-दिवस
स्मरण तुम्हें आठों पहर किया
वियोग अप्रतिम तुमसे मिला