तारीफों के तंज अब मुझे तीर लगते नहीं है याद के जो लम्हें कैद कर लिए जाते हैं वो बचते नहीं है ज़माना मेरी बातों को मेरा हुनर जान बैठा है तुम नहीं हो तो मुझे कोई भी लफ्ज़-ओ-सुख़न जंचते नहीं है #सृष्टितिवारी