सुर्ख़ पन्नों में बंधी थी वो, न जाने कितने हाथो से छुई थी वो, मखमली पोश में लिपटी थी वो, फरिश्ते की भाँति लगती थी वो, मस्जिद में कुरान पढ़ी गई, आयतों से गढ़ी गई थी वो, पाक रूह से रूबरू करती हैं वो, मंदिर में वो गीता सार का सूत्रबद्ध कराती वो, श्रीकृष्ण के ज्ञान का भान कराती हैं वो, इन नेक फरिश्ते को न जाने क्या क्या नाम दे दिया, आपस मे सब भाई भाई को तुमनें धर्म मे बाँट दिया, मानो इंसानों ने ही इंसानियत का गला घोंट दिया हो, एक नेक फरिश्ते को न जाने तूने क्या क्या नाम दिया, ईश्वर, अल्लाह, राम रहीम यह सब तुने कह दिया, अभी भी वक़्त हैं सम्भल जा ए बन्दे, ईश्वर के पैग़ाम को जरा उतार लें जहन में, इंसान के रूप में यहाँ भेजे है उसने फरिश्ते। #फरिश्ता #धर्म #कुरान #ईश्वर #myquote #profoundwriters