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"रामलीला" शाम 4 बजते ही कस्बे के बच्चे घर के चबूतर

 "रामलीला"
शाम 4 बजते ही कस्बे के बच्चे घर के चबूतरे पर जाने की जिद करते ...और हम जैसे शैतान बच्चे दोपहर के 2 बजते ही सीधे उस मंदिर का रुख करते जहाँ दरअसल राम ,सीता ,लक्ष्मण का श्रंगार किया जाता था ... घर, मंदिर के पास था तो जाहिर है " राम " के साक्षात दर्शन कौन नहीं करना चाहेगा ... हम बच्चों के लिए बचपन में राम स्वरूप धारण करने वाला वो साधारण सा लड़का भगवान बन जाता ... मन की सारी मुरादे उसी से माँगते ... फिर क्या था ... उसके हर बार गली से गुजरते ही हम सब बच्चे मिलकर " राम जी - राम जी " कर चिल्लात
 "रामलीला"
शाम 4 बजते ही कस्बे के बच्चे घर के चबूतरे पर जाने की जिद करते ...और हम जैसे शैतान बच्चे दोपहर के 2 बजते ही सीधे उस मंदिर का रुख करते जहाँ दरअसल राम ,सीता ,लक्ष्मण का श्रंगार किया जाता था ... घर, मंदिर के पास था तो जाहिर है " राम " के साक्षात दर्शन कौन नहीं करना चाहेगा ... हम बच्चों के लिए बचपन में राम स्वरूप धारण करने वाला वो साधारण सा लड़का भगवान बन जाता ... मन की सारी मुरादे उसी से माँगते ... फिर क्या था ... उसके हर बार गली से गुजरते ही हम सब बच्चे मिलकर " राम जी - राम जी " कर चिल्लात