मैं ढूढ़ ढूढ़ के खुशियां हजार लाता हूँ तेरी याद आते ही अकेला हो जाता हूँ अब हर रोज कहा मैं भी मुस्कुराता हूँ, तेरी याद आते ही अकेला हो जाता हूँ ।। ये जो मौसम की है रंगीनियां और हलचल है सब दिखावे ही रहे दिल मे तो बस उल्फ़त है नशा है ऐसा की मयखाना ही घर लाता हूँ, तेरी याद आते ही अकेला हो जाता हूँ ।। याद