Nojoto: Largest Storytelling Platform

मैं... कब,कहाँ दूर रही तुमसे तुम पुकारोगे मुझे इसी

मैं...
कब,कहाँ दूर रही तुमसे
तुम पुकारोगे मुझे
इसी आस में खड़ी रही कब से,
शब्दों के झंझावात झेले 
विकल आकुल हृदय से,
प्रकट न कर सकी
कष्ट मैं वाणी से,
बधिर कर्ण कर लिए तुमने
व्यर्थ ही आशंका से,
काश कि अर्थ वहन करते 
मेरी अस्थिर
विचलित पुतलियों के,
आह!तड़ित प्रहार सम 
सहन किया मैंने,
अनर्थक ही निरर्थक कर दिया
रोली-सा बंधन
माटी-सा तुमने!
🌹 #mनिर्झरा 
copyright protected ©️®️
02/10/2020
#प्रेम 
#वियोग_शृंगार_रस 
#yqlove 
#love 
#tum
मैं...
कब,कहाँ दूर रही तुमसे
तुम पुकारोगे मुझे
इसी आस में खड़ी रही कब से,
शब्दों के झंझावात झेले 
विकल आकुल हृदय से,
प्रकट न कर सकी
कष्ट मैं वाणी से,
बधिर कर्ण कर लिए तुमने
व्यर्थ ही आशंका से,
काश कि अर्थ वहन करते 
मेरी अस्थिर
विचलित पुतलियों के,
आह!तड़ित प्रहार सम 
सहन किया मैंने,
अनर्थक ही निरर्थक कर दिया
रोली-सा बंधन
माटी-सा तुमने!
🌹 #mनिर्झरा 
copyright protected ©️®️
02/10/2020
#प्रेम 
#वियोग_शृंगार_रस 
#yqlove 
#love 
#tum