पुरुष शारीरिक दृष्टि से जितने मजबूत होतें हैं भीतर से उतने ही कमजोर, आसानी से नहीं गिरते उनकी आंख से आंसू क्योंकि उनका पुरुषत्व उन्हें इसकी स्वीकृति नहीं देता पर भीतर सिमटा अनंत पीड़ाओं का सागर चीखता है उनके अस्तित्व से और अक्सर ह्रदय आघात से समाप्त हो जाता है उनका जीवन।😊 #पुरुषोंकाअंतरमन