मेरे देश के हालात! बनू जो झूटा नवजिशें हों, मैं जो सच कहूं तो हलाक़ कर दें। लिखूं जो इंसाफ क़लम को तोड़ें, लड़ूं जो हक़ पे तो जेल कर दें। कभी जो चाही जानकारी (data), मुझे दफ्तरों में ही वक़्फ़ कर दें। जो इनसे मांगी जवाबदेही, मेरे सवालों को ही ये पस्त कर दें। मिली है कुर्सी मेरी बदौलत, मुझे ही साबित घुस पेठ कर दें!! कभी कह दिया ये है हक़ मेरा, तो मेरे हकों को ही रद्द कर दें। अगर मैं गाऊं अमन के नगमे, इन्हें भी साबित ये खूनी कर दें। निकल के देखूं नफरतों से जो हाल है मेरे देश का, करके गुमराह मंजिलों से पता ये दे कर इशारा कर दें। कहां है मेरी वो रोजगारी? कहां गए वो हजार वादे? बता के ख़ुद को फकीर ये तो, कटोरा ख़ुद का मेरे आगे कर दें! कहा जो अब तक, सच ना समझो उसे झूट मानो तो बेहतरी है.... वरना है लाज़िम अभी कुछ दिनों में, मुझे भी साबित देश द्रोह ( anti national) कर दें! #Freedom of speech #freedom of expression #Reality