ईश्वर सबकी व्यथा सुनता है, सब दुनिया से निराश होकर उसके पास जाते है, दुखान्त सुनाने मगर जब ईश्वर ने मानवीय रूप लिया होगा तो पायी होंगी मानवीय संवेदना भावना सुख दुख सब कुछ और वही दुखान्त वही विषाद वही व्यथा मगर ईश्वर किन्हें सुनाता ? समाज की नजरों में वो मुक्त हो चुका है दुख से , विषाद से, मोह से , चाह से, मगर मानता है समाज कि ईश्वर प्रसन्न होते है, क्रोधित होते हैं, प्रभावित भी होते है, इन सब से देते हैं वो आशीर्वाद, श्राप, वरदान पर कभी दुखी नही हो सकते ? क्योंकि दुखी व्यक्ति क्या दे सकता है ? शायद इसीलिए नही होते कभी दुखी ? और कभी हो भी जाये, तो कौन समझता, सब सुनते है बाँसुरी की धुन जो सबको मोह लेती है, और इस तरह ईश्वर अपनी पीड़ा, दुख, विषाद से भी दुसरों के लिए चुनता है सुख, और बना रहता है दुख से मुक्त समाज की नज़रों में, और ऐसे बनती है बाँसुरी सबसे करीब उसके !!! #nojoto #love #ashu #mythoughts #mypen #nostalgia