बस वही एक याद मुझे उसका चेहरा निगाहों पर लगा जो अश्क़ का पेहरा जशन मनाए गये जो उसके घर मे मांग में उसकी सजा जो सिंदूर गेहरा शहनाई के शोर में सदा कोई दिल की दिल से निलकी जग बन बैठा बेहरा लाली सिंदूर की बेरंग हो उठी उसकी चीख पड़ी मौत के बाद न होगा सवेरा यार मेरा जुदा हुआ इश्क़ के जंग में मुझे चारों ओर से मजबूरियों ने घेरा जीत न उसकी हुई न मेरी इश्क़ में बस दगाबाज का खिताब हुआ उसका मेरा * बस वही एक चेहरा है * बस वही एक याद मुझे उसका चेहरा निगाहों पर लगा जो अश्क़ का पेहरा जशन मनाए गये जो उसके घर मे मांग में उसकी सजा जो सिंदूर गेहरा