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अब तुम्हें पाने की, मंदिर, मस्ज़िद में इबादत नहीं

अब तुम्हें पाने की,
मंदिर, मस्ज़िद में इबादत नहीं है।
कौन गलत, कौन सही,
इसको जताने की अब आदत नही है।
कह दो अपनी यादों को,
हमारे दिल अब तुम्हारी हिफाजत नहीं है।
तुम्हें छू कर आने वाली,
हवाओं में अब वो शरारत नहीं है।
सूना सूना ही सही, दिल का घर,
अब मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है। शिकायत का अनोखा अंदाज़ है 
यह कहना-
मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है

Collab करें YQ DIDI के साथ।

#शिकायत
#collab
अब तुम्हें पाने की,
मंदिर, मस्ज़िद में इबादत नहीं है।
कौन गलत, कौन सही,
इसको जताने की अब आदत नही है।
कह दो अपनी यादों को,
हमारे दिल अब तुम्हारी हिफाजत नहीं है।
तुम्हें छू कर आने वाली,
हवाओं में अब वो शरारत नहीं है।
सूना सूना ही सही, दिल का घर,
अब मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है। शिकायत का अनोखा अंदाज़ है 
यह कहना-
मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है

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