#Bhool_Thi_Meri__SJT भूल थी हमारी जो उस भूल को भुला बैठे , चराग खुशियों का अपने हाथों से बुझा बैठे , महज़ खामोशियां मिली उम्मीदों की चाह में , उठ के बैठा ही था की उसे फिर से उठा बैठे , सोए थे वर्षों से अरमान मेरे दिल के मकान में ,